छात्रों व शिक्षकों को टीके लगने के बाद ही स्कूल खोलने के लिए कहा

 शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेलों पर बनी स्थायी संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि विद्यार्थियों, शिक्षकों व सहयोगी स्टाफ का टीकाकरण कर सरकार जल्द से जल्द स्कूल खोलने पर विचार करे।

 समिति के अनुसार स्कूल बंद रहने से बच्चों पर हो रहे गंभीर असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राज्यसभा सांसद डॉ. विनयपी सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में रखते हुए यह बातें कही हैं।यह समिति लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने से बच्चों की शिक्षा में आई कमी, ऑनलाइन व ऑफलाइन बढ़ाई, परीक्षा और स्कूल फिर से खोलने की योजनाओं पर विचार के लिए ही बनी थी। देश में पिछले वर्ष मार्च में ही स्कूल महामारी के दौरान लगे .लॉकडाउन में बंद कर दिए गए थे। कुछ राज्यों ने गत अक्तूबर में इन्हें खोला, लेकिन महामारी की दूसरी कहीं ज्यादा घातक लहर में उन्हें अपना निर्णय बदलना पड़ा।

सिफारिशें

सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों, स्कूल के सहयोगी स्टाफ के टीकाकरण पर जोर दें, ताकि स्कूल सामान्य ढंग से जल्द खोले जा सकें।

● विद्यार्थियों को एक-एक दिन के अंतर पर या दो शिफ्ट में बांटकर बुलाया जा सकता है, कक्षाएं भरी हुई न रहें। इससे एक दूसरे से दूरी रखने, मास्क पहनने, हाथ धोने व सफाई रखने जैसे नियम सख्ती से मनवाए जा सकेंगे।

■ उपस्थिति लेते समय बच्चों का तापमान मापा जाए, रेंडम आरटीपीसीआर टेस्ट हो, ताकि संक्रमित की पहचान हो सके। हर स्कूल दो ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और प्रशिक्षित स्टाफ भी रखें।

स्वास्थ्य इंस्पेक्टर स्कूलों का निरीक्षण करें। इसके साथ ही कोरोना की रोकथाम को लेकर विदेशों में जो जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, उन्हें अपनाएं।

समिति के अनुसार घरों में कैद बच्चों और परिवारों पर स्कूल बंद रहने का बुरा असर हुआ है। कुछ मामलों में बाल विवाह बढ़ गए हैं तो कई जगह बच्चों से घरों का काम करवाया जा रहा है। वंचित परिवारों के बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। उनकी मानसिक सेहत पर भी असर हो रहा है। इन सभी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।




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