प्रेरणा पोर्टल धड़ाम और प्राइमरी का मास्टर परेशान

Primary Ka Master आजकल DBT कार्यक्रम के केंद्र बिंदु में रहकर कार्य कर रहा है| शासन की मंशा है कि जल्द से जल्द DBT का पैसा उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के अभिभावकों के खाते में पंहुचा दिया जाए|

बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों के सहारे ही विभाग अपनी नैया पार लगाने को आतुर है| खुद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा DBT प्रशिक्षण सेशन में 1 घंटे बाद DBT एप लांच का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 3 दिन बाद भी एप सही से लांच और कार्य करना शुरू नहीं कर पाया था| 

बताते चले कि इस प्रक्रिया में सबसे पहले प्रेरणा पोर्टल prernaup.in पर जा कर अध्यापकों को बच्चों का रजिस्ट्रेशन करना होता है, इसके बाद ही ये रजिस्टर्ड बच्चे आपको DBT एप पर प्रमाणित कर उनके अभिभावकों की बैंक डिटेल एप के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारी को भेजनी होती है| लेकिन सबसे पहले चरण में रजिस्ट्रेशन में प्रयोग होने वाली साईट का सर्वर ही स्लो हो गया है| हालत इतने बत्तर है कि प्रेरणा पोर्टल कल शाम से खबर लिखी जाने तक उपलब्ध ही नहीं था| 

अध्यापक अपने निजी फोन से, अपने वेतन से इन्टरनेट डलवा कर यह सरकारी कार्य कर रहे है| बजाय शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने के अधिकारी चाबुक लेकर वेतन आहरण पर रोक लगाने की धमकी दे रहे है| विभागीय साईट के कार्य न करने जैसी समस्या से किसी उच्च अधिकारी को कोई लेना देना नहीं है| 

5 साल बीतने को है और सभी विद्यालयों को टेबलेट देकर हाईटेक बनाने की घोषणा सिर्फ ख्याली पुलाव ही साबित हो रही है| सरकारी अध्यापकों के वेतन और उनके निजी संसाधनों के बलबूते ही बेसिक शिक्षा विभाग आम जनता में अपनी पीठ थपथपाती नजर आ रही है| 

ब्लाक रिसोर्स सेंटर (BRC) पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर आजकल इस योजना की फीडिंग में प्रगति को अधिकारी बन कर समीक्षा करने का कार्य कर रहे है| वहीँ दूसरी तरफ सरकारी शिक्षक खुद को पढाई के कार्यों से दूर होता पा रहा है और उनकी समस्याओं में कोई भी दिल से खड़ा नजर नहीं आ रहा है| सभी सिर्फ अपना अपना काम निकलवाने की जुगाड़ में मास्टर पर दवाब बनाता नजर आ रहा है|

इन सभी कार्यों का खामियाजा इन विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को अपने अधिगम में निम्नता के रूप में ही भुगतना पड़ेगा|

बताते चले कि पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सरकार में जहाँ भारी मात्रा में गुणवत्तापूर्ण लैपटॉप का वितरण छात्र छात्राओं को किया गया था। वहीं आजभी वर्तमान सरकार में परिषदीय विद्यालय महज एक टैबलेट के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे है।

शिक्षकों का मलाल- एक तरफ शिक्षक हर संभव प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों के प्रमोशन और जिले के अंदर ब्लॉक स्तर पर स्थानांतरण के लिए शासन की ओर टकटकी लगाए बैठे है! लेकिन कोई सुध लेने वाला नही हैं औऱ न ही कोई समयसीमा बताने को तैयार है। चुनावी वर्ष में आचार संहिता लगते ही सभी सपने धरे रह जाने की आशंका भी सताने लगी है।

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