शिक्षक हैरान : किस सरकारी नियमावली में लिखा है कि जूते पहन का सम्मान देना, अपमान है !!

समाचार पत्र के माध्यम से जैसे ही चप्पल पहन कर कुछ शिक्षकों द्वारा महात्मा गांधी जी की तस्वीर पर पुष्प अपर्ण करते हुए सम्मान देने को उनका घोषित कर समाचार पत्रों ने BSA फ़िरोज़ाबाद से कार्यवाही की माँग की। 


इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर अध्यापक समूहों में चर्चा शुरू हो गई है। बताते चले कि अभी इन शिक्षकों को अपना स्पष्टीकरण देना बांकी है। लेकिन सोशल मीडिया पर कई तथ्यों के आधार पर कई तरह की बातें निकल कर सामने आ रही है कि ये क्या वाकई सम्मान को अपमान कहें या रुढिवादिता का नमूना है और सिर्फ मीडिया के दवाब पर कार्यवाही की रस्म अदायगी कर पल्ला झड़ना है।

अपनी राय बनाने से पूर्व इन तथ्यों को पढ़े- 
१. कुछ समय पूर्व एक व्यक्ति द्वारा केंद्र सरकार से जब ये पूछा गया था कि महात्मा गांधी जी को कब और किस सरकारी पत्र के द्वारा भारत का राष्ट्रपिता घोषित किया गया ? तो जवाब मिला ऐसा कोई भी सरकारी घोषणा या पत्र रिकॉर्ड में नही है।

२. देश में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस व गांधी जयंती पर देश का सर्वाधिक सम्मानित तिरंगा झंडा का झंडा रोहण होता है। 
देश के झंडे को सम्मान देते समय भी गणमान्य जूते या चप्पल को उतारने का कोई उल्लेख शायद किसी संवैधानिक किताब या नियम में उल्लेखित नही है। 

जब देश के सर्वोच्च सम्मानित झंडे को जूते/ चप्पल पहन कर सम्मान दिया जा सकता है! तो माल्यार्पण करते समय इनको उतारने या पहनने से सम्मान या तिरस्कार भाव को किस सेवा नियमावली में गलत या सही बताया गया है!!




३. भारतीय संस्कृति में जब अपने माता पिता या बड़ों को आदर देने के लिए उनके पैर छूते है , तो क्या कोई अपने पैरों को बचाने के लिए पहने गए जूते या चप्पल उतार देता है!! 

सोशल मीडिया पर इस तरह की कई बातें चल रही है। एक शिक्षक धड़ा इसको गांधी जी का अपमान नही मानने को तैयार है क्योंकि फोटो में सभी शिक्षक बड़ी ही खुशी के साथ इस राष्ट्रीय पर्व में शामिल हुए और श्रद्धा सुमन और सम्मान दिखाने हेतु की पुष्प अर्पण करते हुए नजर आ रहे है।

जूते भारत मे ब्रिटिश औपनिवेशिक राज जे दौरान भारतीय समाज मे आए है और ब्रिटिश संस्कृति में जब वो किसी मृतक को श्रद्धा सुमन अर्पित करते है तो वो जूतों नही उतारते है। 

गौरतलब है कि सभी लोग इस तरफ देख रहे है कि इतने खुशी से इस पर्व में शामिल शिक्षकों के साथ अन्ततः सर्विस नियमावली के किस बिंदु के आधार पर क्या कार्यवाही होती है या चेतावनी के साथ आगे किसी को खराब न लगे ऐसा आचरण करने को कहा जायेगा या कोई अन्य विकल्प सामने आएगा।

वेबसाइट का कोई भी निजी पक्ष किसी भी ओर नही है। 
अमूमन समाज मे ऐसे कई वाक्या होते है जो सोचने के लिए कुछ प्रश्न छोड़ जाते है। ऐसा ही एक प्रश्न शिक्षक समाज ने उठाया है कि यदि जूते/चप्पल पहन कर माल्यार्पण सम्मान नही की श्रेणी में सेवा नियमावली में आता है तो नियमावली में जूते/चप्पल पहन कर राष्ट्रीय तिरंगे झंडे को फहराने को भी गलत की श्रेणी में जरूर रखवाया जाए और इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए।




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