नीट परास्नातक में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की आठ लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा पर पुनर्विचार होगा। इस दौरान काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक रहेगी। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को यह जानकारी दी।
वक्त लगेगा: जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रमनाथ की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मानदंड तय करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। समिति को यह काम करने के लिए चार हफ्तों का वक्त लगेगा। मेहता ने कहा कि अदालत में पहले दिए आश्वासन के अनुसार नीट (पीजी) काउंसिलिंग और चार हफ्तों के लिए स्थगित की जाती है।
इसे मनमानी बताया था:गौरतलब है कि कोर्ट ने आठ लाख रुपये की सीमा पर गंभीर सवाल किए थे। कहा था यह आय की यह सीमा मनमानी है।
याची की दलील:सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अरविंद दातार ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा अगले शैक्षणिक सत्र तक स्थगित कर देना चाहिए, क्योंकि काउंसिलिंग में पहले से ही देरी हो चुकी है।
छात्र समय खो रहे: पीठ ने सरकार से कहा कि यह सही है क्योंकि सरकार चार हफ्ते का समय मांग रही है। जब तक मानदंड बनेगा तब तक दिसंबर आ जाएगा। उसके बाद दिसंबर अंत तक लागू किया जा सकेगा। इस प्रकार छात्रों को फरवरी-मार्च के दो माह ही मिलेंगे। छात्र समय खो रहे हैं। हालांकि, पीठ नहीं चाहती कि सरकार जल्दबाजी करे।
छात्रों की अर्जियों पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस बहुत सक्षम और प्रगतिशील प्रकार का आरक्षण है। सभी राज्यों को केंद्र के इस प्रयास में उसका समर्थन करना चाहिए। पीठ ने कहा कि एकमात्र सवाल यह है कि श्रेणी का निर्धारण वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। अदालत इसकी सराहना करती है कि केंद्र ने पहले से तय मानदंड पर फिर से गौर करने का फैसला किया है।