उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) निरस्त होने से बेरोजगारों को झटका लगा है। डीएलएड (बीटीसी) और बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार लंबे समय से भर्ती शुरू करने की मांग कर रहे थे। 69000 भर्ती के बाद से दूसरी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी थी।
यूपी-टीईटी के आयोजन से बेरोजगारों में नई भर्ती की उम्मीद जगी थी कि विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले सरकार नई भर्ती शुरू कर सकती है। लेकिन परीक्षा निरस्त होने से बेरोजगारों की उम्मीदों को झटका लगा है। नई शिक्षक भर्ती के लिए युवाओं ने 15 नवंबर को प्रयागराज में बड़ा प्रदर्शन किया था।
अभ्यर्थियों का कहना है कि टीईटी और सीटीईटी पास बेरोजगार प्रशिक्षुओं की संख्या लगभग 10 लाख है। अकेले डीएलएड और बीटीसी के ही पांच लाख से ज्यादा प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। डीएलएड 2017 बैच के आलोक मिश्रा का कहना है कि 2019 में 69000 भर्ती आने के बाद से कोई भर्ती नहीं आई है।
वैसे भी 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट से जुलाई 2017 में निरस्त होने के बाद दो किस्तों में 68500 और 69000 भर्ती निकाली गई थी।
इस लिहाज से देखा जाए तो पिछले पांच साल में कोई नए पद पर भर्ती शुरू नहीं हो सकी है।
प्रदेश सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जून 2020 में इस बात को स्वीकार किया था कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 51,112 पद खाली थे। हर साल औसतन 12 हजार प्राइमरी शिक्षक रिटायर होते हैं। ऐसे में सहायक अध्यापकों के एक लाख से अधिक पद खाली हैं।
अब टीईटी एक महीने टलने से आशंका है कि कहीं बीच में ही विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी न हो जाए। ऐेसा होता है तो नई भर्ती की उम्मीद अगली सरकार से ही करनी होगी।